पितृ पक्ष 2025: भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू, जानिए तर्पण और श्राद्ध का महत्व
भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष का आरंभ
आज (7 सितंबर) भाद्रपद पूर्णिमा है। इस दिन उन लोगों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई थी। कल यानी 8 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत होगी, जो 21 सितंबर तक चलेगा। इन दिनों परिवारजन अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए धूप-ध्यान, तर्पण और पिंडदान करते हैं।
पितरों की कृपा से मिलता है सुख-शांति
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, पितृ पक्ष में जाने-अनजाने सभी पूर्वजों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। मान्यता है कि पितरों की तृप्ति से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। अगर पितर अतृप्त रहते हैं तो वे वंशजों को शाप भी दे सकते हैं।
श्राद्ध का श्रेष्ठ समय – कुतुप काल
पितरों के लिए धूप-ध्यान और श्राद्ध कर्म दोपहर लगभग 12 बजे करना चाहिए। इस समय को कुतुप काल कहते हैं, जो पितरों की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना गया है। सुबह-शाम का समय देवी-देवताओं की पूजा के लिए रखा जाता है।
मृत्यु तिथि न मालूम हो तो क्या करें?
अगर परिवार में किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो सर्वपितृ अमावस्या (21 सितंबर) को सभी पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जा सकता है। यह तिथि उन पितरों के लिए भी श्राद्ध करने का अवसर देती है जिनका श्राद्ध पूर्व निर्धारित तिथि पर नहीं हो पाया।
पितृ पक्ष में कर सकते हैं ये शुभ काम
पितरों के नाम पर नदियों में स्नान और दान-पुण्य करें।
घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर धूप-ध्यान और तर्पण करें।
जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े और भोजन कराएं।
पितरों के लिए गरुड़ पुराण और श्रीमद् भागवत पुराण का पाठ करें।
तालाब में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
घर में साफ-सफाई रखें, लड़ाई-झगड़ों से बचें।
नशा, मांसाहार और अधार्मिक कार्यों से दूर रहें।
कुत्ते, गाय और कौओं को भोजन-पानी दें।
पितरों के लिए सात्विक भोजन बनाएं, जिसमें लहसुन-प्याज का प्रयोग न हो।
तर्पण में जल, गंगाजल, दूध, जौ, चावल और तिल का उपयोग करें।
रोज सुबह जल्दी उठें और शाम को दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर पितरों का स्मरण करें।
